बुध बारह भावों में: ज्योतिषीय फलादेश

बुध बारह भावों में:

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नव ग्रहों, बारह राशियों, और नक्षत्रों आदि के बारे में बताया गया हैं । जिसमें सूर्य, चन्द्रमा , मंगल , बुद्ध , बृहस्पति, शुक्र , शनि , राहु और केतु , इन नव ग्रहों की चर्चा आती हैं । जिनमें एक ग्रह मुख्य ग्रह बुध हैं। जिन्हें बुद्धि का कारक शास्त्रों में बताया गया हैं । बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी होते हैं। कन्या राशि इन्हें अधिक प्रिय हैं इसलिए ये इनकी मूलत्रिकोण राशि हैं। बुध अपनी ही कन्या राशि में उच्च के होते हैं। और मीन राशि में नीच के होते हैं। बुध को तामसिक ग्रह बताया गया हैं। ये हरियाली का कारक हैं।बुध को सामान्यतः शास्त्रों में शुभ ग्रहों की श्रेणी में बताया गया हैं । परन्तु बुध यदि सौम्य ग्रहों के साथ बैठे तो ये सौम्य फल देते हैं एवं क्रूर ग्रहों के साथ बैठने पर ये क्रूर फल देते हैं । बुध 26 दिनों के लगभग एक राशि में गोचर करते हैं। बुध सूर्य और शुक्र ये तीनों ग्रह साथ साथ ही रहते हैं ये एक दूसरे से अधिक दूर नहीं जाते। बुध सामान्यतः इन दोनों ग्रहों के साथ युति मैं होते ही हैं। तथा बुध सूर्य के साथ युति करने पर बुधादित्य योग का निर्माण करता हैं। बुध को शास्त्रों में एक राजकुमार का दर्जा दिया हैं। सामान्यतः बुध को चंचलता , मजाक मस्ती, बुद्धि, वाणी, व्यावहारिक समझ, भाषा, संपर्क, मित्र, परख करना, आदि का कारक बताया गया हैं । बुध हमारे शरीर की तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालता हैं । बुध हमारे दांतों, त्वचा , जातक को जवान युवा आदि रखने पर प्रभाव डालता हैं। बुध की क्योंकि एक छोटे बच्चे की तरह हंसमुख बताया गया हैं इसलिए बुध को नपुंसक ग्रह भी बताया गया हैं ।

आइए जानते हैं बुध बारह भावों में: ज्योतिषीय फलादेश

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बुध प्रथम भाव में:- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के प्रथम भाव में हो तो जातक चंचल वृत्ति का होता हैं हसी मजाक करने वाला उसका स्वभाव होता हैं यदि यह शुभ ग्रहों के साथ बैठे तो जातक का व्यक्तित्व सुंदर होता हैं लोग जल्द ही उसकी वाणी और उसकी सुंदरता से आकर्षित हो जाते हैं । जातक खुद भी समाज में जल्द ही घुल मिल जाता हैं । जातक के मित्र अधिक होते हैं और जातक को भी उनसे लाभ मिलता रहता हैं। लग्न में स्थित बुध को दिग्बल प्राप्त होता हैं । इसलिए जातक के पास व्यावहारिक कुशलता होती हैं । यदि पाप ग्रहों के मध्य में बुध लग्न में स्थित हो तो जातक छोटी उम्र में ही कुसंगती कर लेता हैं और लोगों को ठगने का उसका रवैया होता हैं । जातक दूसरों को कम समझता हैं और कई बार उसे दूसरों के साथ मस्ती करना भी महंगा पड़ सकता हैं।

बुध द्वितीय भाव में:– बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के द्वितीय भाव में हो तो जातक की वाणी में निरंतर बदलाव होता हैं । जातक कभी भावपूर्ण वाली बातें तथा कभी तेज एवं कठोर भी बोलता हैं । लेकिन वाणी की कुशलता जातक के पास होती हैं । जातक को धन के प्रति बहुत लालसा भी होती हैं । ऐसा जातक अच्छा व्यापारी हो सकता हैं जातक अपने परिवार में अपनी बातों से चलने वाला भी होता हैं । जातक को जो चाहिए होता हैं उसे वह घुमा फिराकर रखता हैं। अक्सर जातक अच्छा व्यक्त हो सकता हैं यदि ये बुध शुभ हो तो अन्यथा अशुभ पीड़ित बुध जातक को वाणी से संबंधित समस्याएं देता हैं जातक को बोलने में वर्ण अशुद्धि और न बोल पाना एवं गले सम्बंधित समस्याएं देता हैं।

बुध तृतीय भाव में:- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के तृतीय भाव में हो तो जातक के मित्र बंधु अधिक होते हैं। जातक जल्द ही दूसरों से मित्रता कर लेता हैं । कालपुरुष के अनुसार यह बुध का अपना घर होता है। यह बुध जातक के संचार , वक्तव्य, एवं राय आदि के लिए शुभ होता हैं । ऐसा जातक जहां तक हो सके अपनी बुद्धि और दिमाग से ही पराक्रम करता हैं और कम शारीरिक मेहनत में ही सफल हो जाता हैं । जातक अपने पड़ोसियों , गांव वासियों, एवं अपने भाई बहनों के साथ मित्रवत व्यवहार करता हैं । यदि यह बुध शुभ हुआ तो जातक को मित्रों से लाभ होता हैं । अन्यथा पीड़ित अशुभ जातक कुसंगती करके जुवा बेखबर घूमना आदि में अपना समय व्यर्थ गंवाता रहता हैं ।

बुध चतुर्थ भाव में:- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के चतुर्थ भाव में हो तो जातक मां को अन्य संतानों की अपेक्षा अधिक प्रिय होता हैं। जातक कई बार भावनाओं और अपने विचारों के मध्य में फसकर गलत निर्णय ले लेता हैं जिसका उसे नुकसान भी हो सकता हैं। जातक को पढ़ाई में जिस विषय में अधिक दिलचस्पी होती हैं उस विषय की कई बार अन्य दबावों के कारण वह पढ़ाई नहीं कर पाता। ऐसे मैं जातक को अन्य से सुझाव लेना ही फायदेमंद रहता हैं। जातक के रहने सहने का माहौल अधिकतर अच्छा ही पाया गया हैं। शुभ होने पर जातक की माता सुंदर विचारों वाली और अच्छे कार्य करने वाली होती हैं । अन्यथा अशुभ पीड़ित बुध जातक को कठोर विचारों और आचार व्यवहार जो दूसरों को अच्छा न लगे ऐसे व्यवहार से युक्त होती हैं।

बुध पंचम भाव में:- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के पंचम भाव में हो तो जातक विवेकी, ज्ञानवान, कुशल और अच्छा वक्ता होता हैं ।जातक की यादाश्त अधिक होती हैं । जातक नई नई चीजों को सीखने का इच्छुक रहता हैं । और जातक नई नई चीजों को जनता भी रहता हैं । जातक हो सकता हैं कि पढ़ाई के समय थोड़ा लापरवाह रहे लेकिन परीक्षा नजदीक आने पर पढ़कर उसे पार कर लेता हैं। जातक जल्दी ही किसी भी विषय से संबंधित जानकारी जल्दही ग्रहण कर लेता हैं। ऐसे बुध पे गुरु जैसे ग्रह एवं अन्य शुभ ग्रहों की दृष्टि आ जाए तो कहना ही क्या ! जातक अब बुद्धिमान के साथ ज्ञानवान भी होता हैं जातक हर उम्र में विषयों को सिखाता ही रहता हैं और उसमें निरंतरता भी रखता हैं । ऐसा जातक किसी एक विषय पर महारथ भी लिए बैठा हो सकता हैं । जातक कम उम्र में ही अधिक समझदार हो जाता हैं और अपने स्वयं के विवेक और कौशल से आगे बढ़ता रहता हैं । यदि यह बुध पीड़ित अशुभ युक्त दृष्ट हुआ तो जातक का दिमागी संतुलन ठीक नहीं होता हैं जातक को याद रखने में दिक्कत होती हैं ।

बुध षष्ठ भाव में :- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के यदि षष्ठ भाव में हो तो जातक दूसरों के विचारों का एहसास जल्दी ही कर लेता हैं। काल के अनुसार यह बुध का अपना घर होता हैं। और यहीं पर बुध उच्च का भी होता हैं। जातक अपने शत्रुओं पर अपनी सूझ बुझ से हावी होता हैं। जातक मजाक मजाक में ही कई बार सच बोल लेता हैं और बातों बातों में ही शत्रुओं को परास्त कर लेता हैं जातक को त्वचा संबंधी थोड़ी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं जिससे वह जल्द ही ठीक होता रहता हैं ऐसा जातक ऋण लेने देने और लें दें के कार्यों से भी अच्छा खासा धन अर्जित कर सकते हैं। जातक प्रतियोगी परीक्षाओं में कम तैयारी में ही उन्हें सफलता मिल सकती हैं । यदि ऐसा बुध अधिक पीड़ित या अशुभ हुआ तो जातक को तंत्रिकाओं और दांतों से संबंधित समस्याएं घेर सकती हैं।

बुध सप्तम भाव में :- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के सप्तम भाव मैं हों तो जातक वाचक होता हैं जातक को चंचल स्वभाव और राजसिकगुण युक्त और आकर्षित जीवनसाथी की प्राप्ति होती हैं। ऐसा जातक अच्छा व्यापारी बन सकता हैं जातक अपने जीवन साथी के साथ भी आगे बढ़कर व्यापार कर सकता हैं। जातक को समाज में एक अच्छे कौशल व्यक्ति और रायकार के रूप में जाना जा सकता हैं । यदि ये बुध शुक्र के साथ यहां स्थित हो जाएं तो जीवन साथी बहुत ही सुंदर और बहुत कलाओं से युक्त आकर्षक स्वभाव के होता हैं । सूर्य से युक्त बुध दाम्पत्य जीवन के लिए अच्छा नहीं बताया गया हैं । यदि यहां बुध पीड़ित या अशुभ हो जाएं तो जातक जीवन मैं भटकाव अधिक देखने मिलते हैं और जातक के साथ धोखेबाजी भी हो सकती हैं।

बुध अष्टम भाव में:- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के अष्टम भाव में हो तो जातक यदि किसी एक विषय में गहनता से लग जाएं तो जातक उस विषय में बहुत आगे जा सकता हैं । अक्सर इस भाव में बुध जातक को मानसिक आधार पर दुखी रखता हैं। ऐसा जातक किसी अन्य के साथ घुलने मिलने और साथ रहने के लिए प्रेरित नहीं होता हैं। इसलिए जातक एक विषय के प्रति अधिक प्रेरित रह सकता हैं । यदि ऐसे बुध पे गुरु या शनि की दृष्टि हो जाएं तो जातक गुप्त विद्या का जानकार और दीर्घायु होता हैं। ऐसे बुध पे यदि शुभ ग्रहों का प्रभाव अधिक रहा तो जातक को अच्छा और गूढ़ ज्ञान पाने मैं यह बुध सक्षम हो सकता हैं परन्तु अशुभ प्रभाव पे होने पर जातक को शरीर में समस्या, वाणी संबंधी परेशानी, और गुप्त रोग हो सकते हैं । जातक के ससुराल से भी सम्बन्ध बिगड़ सकते हैं । जातक को विचारने में समस्या आती हैं ।

बुध नवम भाव में:- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के नवम भाव में हो तो जातक को बुद्धिमता के साथ श्रेष्ठ ज्ञान दे सकता हैं। जातक का बुध यदि शुभ दृष्टि से युक्त हुआ तो जातक छोटी उम्र में ही प्रखरकर लोगों के सामने आता हैं । जातक अपने पिता के आचार व्यवहार को जानकर उनके जैसा बनने की कोशिश करता रहता हैं । जातक धर्म पर भी रूचि रखता हैं जातक धार्मिक ज्ञान पड़ता हैं लेकिन पड़ने के अलावा यह धार्मिक ज्ञान को अधिक औरों तक पहुंचाता हैं । जातक वेद आदि शास्त्रों का ज्ञाता हो सकता हैं । यदि यह अधिक शुभ ग्रह युक्त हुआ तो जातक धार्मिक अधिक होता हैं और उसे बताता भी हैं । तथा सूर्य के साथ स्थित होने पर जातक धार्मिक होने के साथ आध्यात्मिक अधिक होता हैं परन्तु बताने मैं अधिक रुचि नहीं रखता हैं परन्तु अधिक पीड़ित होने पर जातक के पिता के स्वास्थ्य संबंध आदि के लिए ठीक नहीं होता हैं।

बुध दशम भाव में :- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के दशम भाव में हो तो अकेला बुध जातक के कार्यक्षेत्र में पेशे से संबंधित अधिक परेशानियां देता हैं । कई बार जातक विभिन्न क्षेत्रों मैं नौकरियां बदलता ही रहता हैं। जिस कारण वह अधिक परेशान रहता हैं। जातक को चाहिए कि ऐसे में वह अन्य किसी विश्वासी से सलाह जरूर लेवें। यदि बुध सूर्य युति इस भाव में हो तो जातक बड़े बड़े पदों पर आसीन हो सकता हैं ।या जातक के वे मित्र होते हैं । जातक बड़े क्षेत्रों में सलाहकार भी हो सकता हैं । सूर्य बुध की दशम भाव में युति वाला जातक राजकार्यों में दक्ष होता हैं। शुभ ग्रहों से युत दृष्ट बुध अच्छा और आरामदायक कार्यक्षेत्र दे सकता हैं । तथा अशुभ ग्रहों से युक्त दृष्ट बुध यहां कार्यक्षेत्र में परेशानियां एवं जातक को अधिक मेहनत करनी पड़ सकती हैं।

बुध एकादश भाव में:- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के एकादश भाव में हो तो जातक विभिन्न क्षेत्रों में अपना पूरा दिमाग ध्यान लगाकर धन कमाने की चेष्टा रखता हैं ऐसा जातक या तो बहुत अधिक धन कमाने की लालसा रखता हैं या फिर समाज में अपने नाम के वाहवाही की लालसा रखता हैं । जातक अन्य समितियों , कंपनी, राजनीति, संस्थानों से जुड़कर , वक्तव्य देकर बहुत धन अर्जित कर सकता हैं। जातक के मित्र अच्छी अवस्थाओं में होते हैं। उनसे भी जातक लाभ अर्जित करता हैं। यदि बुध यहां शुभ युत दृष्ट हुआ तो जातक अपनी अच्छी मेहनत से धन अर्जित करता हैं और उसे सही जगह इस्तेमाल भी करता हैं । यहां पर अशुभ युत बुध भी बहुत पैसा अर्जित करवा सकता हैं लेकिन धन के मार्ग इस अवश्य में सुगम नहीं होते हैं । अन्यों को लूटकर बेवकूफ बनाकर जातक यहां धन अर्जित करता हैं । जातक कुसंगती भी करता हैं लेकिन कुसंगति में भी जातक को लाभ मिलता ही रखता हैं। जातक का दिमाग ही बहुत शातिर होता हैं।

बुध बारह भावों में

बुध द्वादश भाव में :- बुध बारह भावों में जातक की कुंडली के द्वादश भाव बुध की स्थिति के लिए अच्छा नहीं होता हैं । कालपुरुष के अनुसार यहां बुध नीच अवस्था का होता हैं । यहां पर स्थित बुध जातक को वाणी से कई बार तिरस्कृत बना सकता हैं । जातक को यहां दूसरों को सलाह देने पर नुकसान प्राप्त होता हैं । जातक को गले सम्बंधित समस्याएं हो सकती हैं और जातक के गुप्त शत्रु भी जाक और हावी हो सकते हैं। जातक को चाहिए कि इस अवस्था मैं जातक अपनी वाणी का हर किसी जगह पर प्रयोग न करें। यह ही जातक के लिए बहुत उत्तम रहता हैं । शुभ दृष्टि युक्त बुध कुछ हद तक अच्छा फल दे ही देता हैं परन्तु अशुभ पीड़ित बुध कई बार झगड़ा रोग फसाद आदि परेशानियों से घिरा सकता हैं।

नोट :- ये बुध ग्रह के सभी 12 भावों में सामान्य फल हैं । ये आपकी कुंडली अनुसार लागू भी हो सकते हैं। अक्सर कुंडली में विभिन्न राशियों , नक्षत्रों , नवमांश और ग्रह दशा के अनुसार फलों में बदलाव आता ही हैं ।

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