“12 राशियों के अनुसार आपका व्यक्तित्व”

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में महर्षि पराशर द्वारा नवग्रह, बारह राशियां और सत्ताइस नक्षत्र प्रमुख वर्णित हैं। जिसमें 12 राशियों में मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन, ये क्रम से हैं। इन 12 राशियों के अलग-अलग स्वामी बताएं गए हैं। प्रत्येक राशि का अपना गुण होता हैं । जिसमें अग्नि तत्व प्रधान राशि का गुण साहसिक और नेतृत्व क्षमता युक्त होता हैं, भूमि तत्व प्रधान राशि का गुण भौतिक और कर्म प्रधान होता हैं, वायु तत्व प्रधान राशियों का गुण बौद्धिकऔर रचनात्मक होता हैं, तथा जल तत्व प्रधान राशियों का गुण सरल और भावुक होता हैं जिनमें क्रम से चर, स्थिर, तथा द्विस्वभाव प्रकृति पाई जाती हैं। हर राशि की अपनी-अपनी महत्वता एवं अपने गुण होते हैं । जो राशि सूर्योदय के समय पूर्व से उदित होती हैं वह सूर्य राशि होती हैं अर्थात् सूर्य उस राशि में गोचर कर रहा होता हैं। एवम् चन्द्रमा जिस राशि में चलायमान होता हैं वह चंद्रराशि या नाम राशि कहलाती हैं । तथा किसी भी समय पूर्व से उदित हो रही राशि जातक की लग्न राशि कहलाती हैं। आइए अब 12 राशियों के गुण व्यक्तित्व पे चर्चा करते हैं।

12 राशियों के गुण और विशेषताएं ।

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मेष राशि :- कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में प्रथम राशि मेष हैं । मेष जो अग्नितत्व की राशि हैं । और यह चर राशि हैं। यह क्षत्रिय वर्ण की राशि हैं । मेष राशि का स्वामी मंगल हैं । मेष राशि मंगल की प्रथम राशि हैं । यह मंगल की मूलत्रिकोण राशि हैं । इसलिए मंगल के इस राशि में 100 प्रतिशत गुण होते हैं । इस राशि से प्रभावित लोग काफी ऊर्जावान होते हैं । इसलिए वे थोड़े क्रोधी स्वभाव के भीभो जाते हैं । उनका क्रोध बस कुछ ही समय का होता हैं फिर ये शांत हो जाते हैं । जब ये किसी कार्य को करने लग जाते हैं तो उसे पूरी निष्ठा से करते हैं । परन्तु ये कार्य को जल्दी जल्दी ही करना चाहते हैं । इसलिए इन्हें किसी भी बड़े कार्य में अधिक समय तक एकाग्रता करने में थोड़ी मुश्किल आती हैं । लेकिन कर भी लेते हैं । मेष राशि से प्रभावित जातक निर्भीक होते हैं किसी से भी डरते नहीं हैं। लेकिन जल्दबाजी में आने के कारण ये नुकसान भी उठा बैठते हैं तथा क्रोध के कारण भी इन्हें रिश्तों में नुकसान हो जाता हैं।

वृषभ राशि :- कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों मैं द्वितीय राशि वृषभ हैं। वृषभ राशि भूमि तत्व प्रधान राशि हैं और यह स्थिर स्वभाव वाली राशि हैं। यह वैश्य वर्ण की राशि हैं। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र हैं । यह शुक्र की गौण राशि हैं । कालपुरुष में यह द्वितीय भाव में पड़ती हैं जिस कारण इन्हें धन और सुख भोगना अच्छा लगता हैं। इस राशि से प्रभावित जातक सांसारिक कार्यों मैं दक्ष होते हैं । ये काफी ऊर्जावान होते हैं इसलिए इन्हें काम करना अच्छा लगता हैं और उसे बखुबी पूर्ण भी कर लेते हैं। ये स्थिरता से कार्य को करते रहते हैं। शुक्र से प्रभावित होने के कारण इससे प्रभावित जातक सुन्दर भी होते हैं। और विलासिता से भी पूर्ण होते हैं ।ये खान पान के शौकीन भी होते हैं। ये शांत स्वभाव के होते हैं और भरोसेमंद भी होते हैं ।कभी कभी ये भी देखा गया हैं कि ये लोग शिथिल अर्थात् आलसी भी होते हैं।

मिथुन राशि :- कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों मैं तृतीय राशि मिथुन हैं। यह वायु प्रधान राशि हैं और द्विस्वभाव वाली यह राशि हैं। यह शूद्र वर्ण की राशि हैं। मिथुन राशि का स्वामी बुद्ध हैं। यह बुद्ध की गौण राशि और प्रथम राशि हैं । इस राशि से प्रभावित जातकों मैं काफी उत्सुकता पाई जाती हैं । संवाद और संचार क्षेत्र में इनकी काफी अच्छी प्रतीभा होती हैं । ये लोगों से जल्द ही जुड़ जाते हैं । ये लोगों के बीच एक दम से घुल मिल जाते हैं और इन्हें बातें करना भी अच्छा लगता हैं । ये बोलने में सक्षम और अधिक बोलते हैं इसलिए ये महा शब्दकारी भी होते हैं । ये विद्वान और कूटनीति के परिचायक भी होते हैं। ये हास्य विनोदी भी होते हैं। वर्तमान संदर्भ में कंप्यूटर इंटरनेट आदि क्षेत्र में जुड़ाव कार्य के लिए ये राशि श्रेष्ठ हैं । कभी- कभी ये भी देखा गया हैं कि ये लोग मैथुन और भोग की तरफ़ अधिक भागने लगते हैं जिस कारण ये व्यसनी भी हो जाते हैं

कर्क राशि :- कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में चतुर्थ राशि कर्क राशि हैं । यह राशि जलतत्व प्रधान हैं । चर तत्व की यह राशि हैं । ब्राह्मण वर्ण की यह राशि हैं। यह चंद्रमा की राशि है। इस राशि से प्रभावित जातक अपनों के लिए, देश के लिए, अपने प्रेम आदि के लिए, काफी संवेदनशील होते हैं । ये जातक बहुत भावुक होते हैं। इनमें मातृत्व गुण पाएं जाते हैं । इनकी भावनाएं निरंतर बदलती रहती हैं। ये जातक कभी दुखी होंगे तो जल्द ही खुश भी हो जाएंगे भी हो जाएं । ये लोग दूसरे लोगों का ध्यान बखूबी रखते हैं। ये दूसरों से प्रभावित होकर जल्द ही विचारों मैं परिवर्तन कर लेते हैं लेकिन ज़्यादा समय तक उनमें सामंजस्य नहीं बिठा पाते । कई बार दूसरों के कुछ कहने पर ये जल्द ही दुखी भी हो जाते हैं परन्तु जल्द ही भूलकर खुश भी रहते हैं ये इनका एक अच्छा गुण हैं। इन्हें सदैव अपने कार्य में निरंतरता लानी चाहिए और जल्द ही दूसरों से प्रभावित नहीं होना चाहिए ऐसा इन्हें ध्यान रखना चाहिए ।

सिंह राशि:- कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में पंचम राशि सिंह हैं। यह अग्नितत्व प्रधान राशि हैं और यह स्थिर स्वभाव वाली राशि हैं। क्षत्रिय वर्ण की यह राशि हैं । यह सूर्य की मूल त्रिकोण राशि हैं। इस राशि को शाही राशि कहा जाता हैं। इन्हें अपने आप को एक राजा की तरह प्रस्तुतकरना पसंद होता हैं । और इन्हें विरासत पसंद होती हैं । इस राशि से प्रभावित जातक वर्चस्व अधिकार की चाहत रखते हैं और अपने क्षेत्र में वर्चस्व जमाते भी हैं। इससे प्रभावित जातक अभिमानी भी होते हैं और अपनी बात पर अडिग भी रहते हैं। इन्हें किसी की गुलामी करना पसंद नहीं होता । ये किसी का व्यर्थ में कुछ भी लेते नहीं हैं । और परे देने के लिए भी आतुर रहते हैं। जब इनकी बात न मानी जाएं तो ये कभी- कभी क्रोधित भी हो जाते हैं और लंबे समय तक क्रोध को अपने अन्दर दबाएं रखते हैं । कभी कभी ये अधिक अभिमानी भी हो जाते हैं और दूसरों का कुछ भी ग्रहण नहीं करते हैं न ही सुनते हैं जिस कारण से लोग इनके पास आने से कतराते हैं ।

कन्या राशि :- कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में षष्ठ राशि कन्या हैं । जो भूमि तत्व प्रधान राशि हैं । यह द्विस्वभाव वाली राशि हैं। यह वैश्य वर्ण वाली राशि हैं । यह बुद्ध की मूल त्रिकोण राशि हैं और बुद्ध ही इस राशि का स्वामी हैं। यह बुद्ध की बुद्धिमता वाली राशि हैं । इसलिए इस राशि से प्रभावित जातक काफी बुद्धिमान होते हैं । ये दूसरों के व्यक्तित्व को जल्द ही भांप लेते हैं । ये जातक ज्ञानवान होते हैं और इन्हें हर क्षेत्र की कुछ न कुछ जानकारी होती हैं । इन्हें अच्छी किताबे पढ़ना अच्छा लगता हैं। परन्तु कुछ ही समय तक। वेद आदि शास्त्रों में भी इन्हें रुचि होती हैं। इनमें विवेकता और कुशाग्रता होती हैं। इन्हें सही ग़लत का ज्ञान होता हैं और सही निर्णय लेते हैं। इन्हें आत्म सम्मान चाहिए होता हैं। ये दूसरों की जल्दी ही अपने आप से प्रभावित कर लेते हैं । ये लोग दूसरों से लाभ भी कमा लेते हैं। कभी कभी ये लोग अधिक चंचल भी हो जाते हैं और छिछोरों जैसी हरकतें भी करने लगते हैं ।

तुला राशि:- कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में सप्तम राशि तुला हैं। यह वायु तत्व प्रधान राशि हैं। यह चर स्वभाव वाली राशि हैं । ये शूद्र वर्ण वाली राशि हैं । यह शुक्र की दूसरी राशि हैं और शुक्र यह शुक्र की मूल त्रिकोण राशि भी हैं। यह राशि संतुलन को इंगित करती हैं। इसलिए इस राशि से प्रभावित जातक न्यायप्रिय होते हैं सामंजस्य बिठाने वालें और विचारों से शुद्ध होते हैं । ये जातक भी बुद्धिमान होते हैं और व्यापारी किस्म के होते हैं । ये जातक अपने कार्य को प्रेम पूर्वक तो करते हैं लेकिन जल्दी ही उसे पूर्ण करना चाहते हैं । वैसे इनमें धैर्य के गुण भी पाएं जाते हैं । इससे प्रभावित जातक अच्छे व्यापारी हो सकते हैं । ये स्वयं ही अपने फैसले लेते हैं । लेकिन दूसरों के विचारों को भी नजरअंदाज नहीं करते। यदि ये अपने जीवन में बहुत आगे भी जाए तो भी इनका व्यवहार सभी के साथ अच्छा ही रहता हैं ।

वृश्चिक राशि :- कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में अष्टम राशि वृश्चिक हैं। यह जलतत्व प्रधान राशि हैं। यह स्थिर स्वभाव वाली राशि हैं। यह मंगल की दूसरी राशि और गौण राशि हैं। विप्रअर्थात् ब्राह्मण वर्ण की यह राशि हैं। यह राशि बहुत ही रहस्यमई राशि हैं क्योंकि यह अष्टम भाव की राशि हैं। इस राशि के प्रधान जातक बहुत ही रहस्यमई होते हैं इनके मन के भावों को कोई भांप नहीं सकता जबकि ये दूसरों के विचारों को एक दम से पकड़ लेते हैं। ये बहुत ही कूटनीतिज्ञ होते हैं । ये किसी भी कार्य को करने में बड़े सक्षम होते हैं ये अपनी युक्तियां अपने तक ही सीमित रखते हैं जब तक ये कार्य पूरा कर न ले तब तक ये किसी से भी उसका प्रदर्शन नहीं करते हैं। ये लोग बहुत अभिमानी भी होते हैं आसानी से हार नहीं मानते हैं न ही झुकते हैं । इनका स्वभाव स्थिर होता हैं । ऐसे जातक बहुत ही संवेदनशील और भावुक होते हैं। इनमें एक खूबी यह होती हैं कि ये लोग अपना अपमान कभी नहीं भूलते और समय आने पर अपना बदला जरूर लेते हैं ।

धनु राशि:- यह राशि कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में नवम राशि हैं। यह अग्नितत्वात्मक राशि हैं। और यह द्विस्वभाव वाली राशि हैं। क्षत्रिय वर्ण की यह राशि हैं । इस राशि का स्वामी गुरु हैं और यह गुरु की मूल त्रिकोण राशि हैं। यह राशि कालपुरुष की सबसे शुभ राशि हैं। यह राशि लक्ष्य और प्रगति को इंगित करती हैं। यह राशि धार्मिक राशि हैं। इस राशि से प्रभावित जातक अपने लक्ष्य और कर्तव्यों के प्रति सजग होते हैं । ये जातक बहुत ही ईमानदार और मिलनसार होते हैं। ये जातक अपनी उम्मीदों पर जीते हैं और गंभीरता से कार्य करते हुए प्रगति करते रहते हैं। ऐसे जातक धार्मिक प्रवृति के, उत्साह युक्त और सकारात्मक होते हैं। ये जातक अपने साथियों के साथ चंचल व्यवहार भी करते हैं और उनके लिए भरोसेमंद रहते हैं । लोक समाज को इस राशि से प्रभावित जातक जल्दी ही बहुत आकर्षित कर लेते हैं । इनके पास कुछ ऊर्जा का कुछ अलग ही स्तर होता हैं । जो शुभता लिए होता हैं । इस राशि से प्रभावित जातक सबसे अधिक सकारात्मक होते हैं ।

मकर राशि :- यह राशि कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में दशम राशि हैं यह भूमि तत्वात्मक राशि हैं। और यह चर तत्वात्मक राशि हैं । वैश्य वर्ण की यह राशि हैं । यह शनिदेव की प्रथम और गौण राशि हैं। यह राशि कर्म प्रधान राशि हैं। इस राशि से प्रभावित जातक काफी मेहनती होते हैं । और गंभीर प्रवृति के होते हैं । ये सदैव कर्म करने के लिए आतुर रहते हैं । ये जातक एक दम से किसी से भी जुड़ते नहीं हैं । ये दूसरों के हाव भाव देखकर ही उनसे जुड़ने लगते हैं । और उनसे प्रत्युचित व्यवहार करते हैं। ये समय लेते हैं किसी से भी जुड़ते में । ऐसे व्यक्ति जिस भी गतिविधि को चुनते हैं । उस क्षेत्र में शीर्ष तक पहुंचते हैं । ऐसे जातक जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेते । इस राशि के व्यक्ति काफी भरोसेमंद होते हैं । और ये भी एक दम से किसी पर भरोसा नहीं करते हैं ।

कुंभ राशि:- यह राशि कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में ग्यारहवीं राशि हैं । यह राशि वायु तत्वात्मक राशि हैं । यह स्थिर स्वभाव वाली राशि हैं । शूद्र वर्ण की यह राशि हैं ।यह शनि की दूसरी राशि और शनि की यह मूल त्रिकोण राशि है ।इस राशि से प्रभावित जातक काफी चतुर और अनुभवी होते हैं । ऐसे जातक शांति प्रिय होते हैं। ऐसे जातकों के पास सोचने की क्षमता होती हैं । इनकी बुद्धिमता बहुत ऊंचे स्तर की होती हैं। जिसे ये अपने काम पर अच्छे से उपयोग करते हैं । इनके पास कार्य को आसान करने की कला होती हैं । इन्हें जीवन में जो भी सबक मिला होता हैं उसे ये जल्दी भूला नहीं पाते। इन्हें चापलूसी करना नहीं आता लेकिन अपने बारे मैं भी ये चापलूसी सहन नहीं करते । वैसे तो ये कम बात करते हैं लेकिन जब किसी से घुल मिल जाएं तो उससे बहुत सारी बाते करते हैं अपने सारे अनुभव बताते रहते हैं । ये लोग जो भी कुछ करते हैं उससे कुछ न कुछ सीखते ही हैं चाहे ये हारे या जीतते हो ।

मीन राशि:- यह राशि कालपुरुष के अनुसार 12 राशियों में अंतिम बारहवीं राशि हैं । यह राशि जल तत्वात्मक राशि हैं । यह द्विस्वभाव वाली राशि हैं । ब्राह्मण वर्ण की यह राशि हैं । इस राशि से प्रभावित जातक कभी बहुत भावुक होते हैं जिस कारण ये लोगों पर जल्दी ही विश्वास कर लेते हैं परन्तु लोगों से धोखा भी इन्हें कभी- कंभी मिलता रहता हैं । लेकिन ये लोग स्वतन्त्र स्वभाव के भी होते हैं । इन राशि के लोगों को कला लेखन साहित्य का बहुत शौक होता हैं । इनकी धर्म के कार्यों में भी होती हैं । इनका मन पवित्र होता हैं। लेकिन कभी कभी इनको आलस्य बहुत अधिक होने लगता हैं तो ये समस्याओं से भागने लगते हैं । इनका एक अच्छा गुण यह होता हैं कि ये लोगों की सेवा निस्वार्थ भाव से करते हैं और ये जब कुछ भी देते हैं तो ये बदले में कुछ भी आशंका नहीं रखते हैं ।

नोट:– भारतीय ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियां वर्णित हैं जिनका गुण विशेषताएं निम्नलिखित हैं । ये इन राशियों के सामान्य गुण एवम् विशेषताएं हैं । लेकिन लग्न राशि और चंद्र राशि में कई बार अन्य युति, दृष्टि और ग्रह स्थिति के कारण फल में बदलाव हो सकता हैं ।

यहाँ 12 राशियों के गुण और विशेषताएं दी गई हैं:

मेष राशि

  • अग्नितत्व प्रधान राशि
  • चर स्वभाव वाली राशि
  • क्षत्रिय वर्ण की राशि
  • मंगल की राशि
  • साहसिक और नेतृत्व क्षमता युक्त

वृषभ राशि

  • भूमि तत्व प्रधान राशि
  • स्थिर स्वभाव वाली राशि
  • वैश्य वर्ण की राशि
  • शुक्र की राशि
  • भौतिक और कर्म प्रधान

मिथुन राशि

  • वायु तत्व प्रधान राशि
  • द्विस्वभाव वाली राशि
  • शूद्र वर्ण की राशि
  • बुद्ध की राशि
  • मैथुनप्रिय और संवाद कुशल

कर्क राशि

  • जल तत्व प्रधान राशि
  • चर स्वभाव वाली राशि
  • ब्राह्मण वर्ण की राशि
  • चंद्रमा की राशि
  • संवेदनशील और भावुक

सिंह राशि

  • अग्नितत्व प्रधान राशि
  • स्थिर स्वभाव वाली राशि
  • क्षत्रिय वर्ण की राशि
  • सूर्य की राशि
  • स्वाभिमानी और नेतृत्व क्षमता युक्त

कन्या राशि

  • भूमि तत्व प्रधान राशि
  • द्विस्वभाव वाली राशि
  • वैश्य वर्ण की राशि
  • बुद्ध की राशि
  • बुद्धिमान और संवाद कुशल

तुला राशि

  • वायु तत्व प्रधान राशि
  • चर स्वभाव वाली राशि
  • शूद्र वर्ण की राशि
  • शुक्र की राशि
  • न्यायप्रिय और सामंजस्य बिठाने वाले

वृश्चिक राशि

  • जल तत्व प्रधान राशि
  • स्थिर स्वभाव वाली राशि
  • ब्राह्मण वर्ण की राशि
  • मंगल की राशि
  • रहस्यमई और कूटनीतिज्ञ

धनु राशि

  • अग्नितत्व प्रधान राशि
  • द्विस्वभाव वाली राशि
  • क्षत्रिय वर्ण की राशि
  • गुरु की राशि
  • धार्मिक और लक्ष्योन्मुख

मकर राशि

  • भूमि तत्व प्रधान राशि
  • चर स्वभाव वाली राशि
  • वैश्य वर्ण की राशि
  • शनि की राशि
  • मेहनती और कर्म प्रधान

कुंभ राशि

  • वायु तत्व प्रधान राशि
  • स्थिर स्वभाव वाली राशि
  • शूद्र वर्ण की राशि
  • शनि की राशि
  • शांतिप्रिय और अनुभवी

मीन राशि

  • जल तत्व प्रधान राशि
  • द्विस्वभाव वाली राशि
  • ब्राह्मण वर्ण की राशि
  • गुरु की राशि
  • परार्थी और भावुक

राशि क्या है?

राशि एक ज्योतिषीय प्रतीक है। यह क्रांतिवृत का 12वां भाग होता हैं। 12 राशियों का जोड़ ही क्रान्तिवृत कहलाता हैं ।

12 राशियाँ कौन सी हैं?

12 राशियाँ हैं: मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर और मीन।

12 राशियों का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

राशि का आपके व्यक्तित्व, व्यवहार और जीवन की घटनाओं पर प्रभाव पड़ सकता है।

RD JYOTISH

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