12 भावों में राहु “राहु, भारतीय ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण छाया ग्रह है, जो व्यक्ति के जीवन में बदलाव, भ्रम और मानसिक उतार-चढ़ाव का कारण बनता है। इस लेख में हम जानेंगे कि राहु के विभिन्न भावों में क्या फल मिलते हैं और इसका व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक भाव में राहु के प्रभाव से जातक के जीवन में धन, परिवार, शिक्षा, स्वास्थ्य, दाम्पत्य जीवन, और करियर में विभिन्न परिवर्तन हो सकते हैं। इस मार्गदर्शिका में राहु के 12 भावों में फल की विस्तार से जानकारी दी गई है, जो आपकी कुंडली में राहु की स्थिति को समझने में मदद करेगी।”
विभिन्न 12 भावों में राहु का फल –
भारतीय ज्योतिष शास्त्रों में नव ग्रहों के बारे में बताया गया हैं । जिसमें सूर्य और चन्द्रमा प्रकाशक ग्रह हैं जो सदैव मार्गी ही रहते हैं । मंगल, बुद्ध , बृहस्पति, शुक्र , शनि ये पांच ग्रह पंचतारा ग्रह कहलाए जाते हैं। ये ग्रह मार्गी और वक्री दोनों गति से चलते हैं । वहीं राहु और केतु दो छाया ग्रह हैं जो सदैव वक्री ही रहते हैं ।
आइए जानते हैं कि अब राहु क्या हैं । :-
सर्वप्रथम राहु को भारतीय ज्योतिष के अनुसार छाया ग्रह बताया गया हैं । अर्थात् ऐसा छाया ग्रह जिसकी कोई भी आकृति नहीं हैं । ना ही कोई भौतिक आकार । अर्थात् यह अनिश्चित भी हो सकता हैं और अतिसूक्ष्म भी । सौरमंडल में सूर्य की कक्षा और चन्द्रमा की कक्षा जिस बिंदु पर मिलती हैं वहीं बिंदु राहु कहलाता हैं या यह एक नई प्रकार की अत्यधिक ऊर्जा राहु बनती हैं ऐसा भी कहा जा सकता हैं ठीक इसके विपरीत 180° पर केतु की स्थिति होती हैं। जब राहु केतु का कोई आकार हैं ही नहीं तो इसे जानना अत्यधिक कठिन होता हैं इस लिए राहु को भ्रम और माया का कारक बताया हैं। यदि सामान्यतः कहा जाए तो तो ” मैं रा-हु ” रा अर्थात् मैं ही राम भी हूं मैं ही रावण भी हूं। राहु एक विशाल अनिश्चित ऊर्जा हैं। जो एक दम से स्थिति को बदलने में विश्वास रखता हैं। राहु एक ऐसा ग्रह हैं जो मनुष्य को रातों रात ही ऊंचाइयां प्रदान कर सकता हैं और रातों रात ही उन ऊंचाइयों को छीन भी सकता हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार राहु को मुख और केतु को धड़ का भाग बताया गया हैं। शरीर का मुख भाग जहां जहां हमारी नाक कान आदि इंद्रियां होती हैं इन इंद्रियों पे राहु का पूरा अधिकार होता हैं हो शेष धड़ भाग केतु का होता हैं। राहु का पूरा प्रभाव इंद्रियों पे होने के कारण तथा धड़ न होने के कारण इंद्रियां तो सदैव इच्छा करती रहती हैं लेकिन कभी तृप्त नहीं होती। इसीलिए राहु की अतृप्त इच्छाएं सदैव बड़ी ही होती हैं जब वह पूरी हो जाती हैं तो उससे और बड़ी की चाहत यह करने लगता हैं। इसीलिए राहु को किसी भी चीज़ के लिए पागलपन का कारक भी बताया गया हैं । लेकिन इसे लगातार काम करना पसन्द नहीं हैं इसे short cut पसंद हैं । इसीलिए यह अनैतिक कार्य करने से भी डरता नहीं हैं । यह किसी भी काम को करने के लिए साम दाम दंड भेद चारों को अपनाता हैं। राहु आडंबर और दिखावा भी करता हैं।
आइए अब जानते हैं राहु का विभिन्न भावों में फल :-
- राहु का प्रथम भाव में फल :-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि प्रथम ( लग्न )भाव में हो तो जातक को थोड़ा भ्रमित व्यक्तित्व का बनाता हैं । कई बार ऐसा जातक स्थितियों को देख कर भी उन्हें पहचान नहीं पाता । लेकिन जातक यदि कोई भी लक्ष्य में रत हो तो जातक उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता हैं। और लक्ष्य को पाकर उसका दिखावा करके उसमें महारथी होता हैं । जिसके भी लग्न में राहु होगा या तो वह समाज में ऊंचे स्थानों को प्राप्त करेगा या फिर बहुत ही बुरे कर्म करेगा । ऐसा जातक कई बार बहुत आलसी प्रमादी भी हो जाता हैं । लेकिन लग्न में बैठा राहु जातक को चतुर बनाता ही हैं । कई बार वह दूसरों को बेवकूफ बनाने के चक्कर में खुद बेवकूफ बन जाता हैं। जातक की नजरें तेज होती हैं दूसरों को पहचानने में पर यही नज़र यदि खुद पे लागू करें तो अच्छा राहु हैं ।
- राहु का द्वितीय भाव में फल:-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि द्वितीय भाव मे हो तो जातक के बोलने का तरीका थोड़ा विचित्र होता हैं। जातक धन की तरफ़ आकर्षित होता हैं और या तो धन बहुत कमाता हैं लेकिन समेटने में कई बार समस्याएं उत्पन्न होती हैं । जातक की जुबान ही जातक के चेहरे को प्रदर्शित करती हैं या तो जातक उस चेहरे से काम बना लेता हैं या फिर बिगाड़ भी लेता हैं जातक का परिवार में कई बार एक दूसरों के प्रति भ्रम फैला होता हैं जिस कारण वें एक दूसरे से द्वेष रखते हैं जिसे वें कभी पहचान ही नहीं पाते । जातक कई बार किसी नशे की लत से परेशान रह सकता हैं । हो सके तो जातक को वाणी का सही इस्तेमाल करके जातक खूब धन में वृद्धि कर सकता हैं ।
- राहु का तृतीय भाव में फल:-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि तृतीय भाव में हो तो जातक शूरवीर कर्मठ होता ही हैं । ऐसे जातक के अपने भाई बहनों से कम बनती हैं ऐसे जातक की इच्छाएं बहुत सी जन्म लेती रहती हैं लेकिन अगर जातक सभी इच्छाओं में से किसी एक पर ध्यान केंद्रित कर पाएं तो निश्चित ही वह सफल होके रहता हैं। जातक साहसी पराक्रमी तो होता हैं लेकिन कई बार कुसंगती भी करता हैं । ऐसा जातक किसी भी स्थिति में भयभीत नहीं होता । और बड़ी से बड़ी विपरीत स्थिति में भी लड़ने का जूनून रखता हैं।
- राहु का चतुर्थ भाव में फल :-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि चतुर्थ भाव में हो तो जातक का रहन सहन का तरीका उतना अच्छा नहीं होता हैं । जातक के मन के विचार भी सुरक्षित नहीं होते। जातक के मन में बहुत विचार आते रहते हैं जिस कारण जातक भ्रमित भी रहता हैं। जातक के घर में सामान का इधर उधर बिखरना ठीक नहीं होता हैं । यदि जातक के घर में ऐश्वर्य हो भी तो भी जातक स्वयं उसका उपभोग नहीं कर पाता । जातक के घर मैं इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स अधिक हो सकते हैं । कई बार जातक की मां का का बचपन मैं अधिक लगाव जातक से रहता हैं लेकिन धीरे धीरे कम भी होता हैं ।
- राहु का पंचम भाव में फल :-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि पंचम भाव में हो तो जातक बुद्धिमान तो अधिक होता हैं लेकिन जातक व्यर्थ की चीजों में अधिक दिमाग अपना लगाता रहता हैं । जिसका कुछ भी लाभ नहीं । जातक के पेट में कुछ न कुछ परेशानियां होती ही हैं । जातक शिक्षा के समय लापरवाह हो सकता हैं लेकिन जब पड़ने में आए तो एक बार में ही सब कुछ समझने की शक्ती उसमें होती हैं । जातक की संताने चंचल और कई बार माता पिता का न सुनने वाली होती हैं । लेकिन प्रसिद्ध भी होती हैं । जातक प्रेम संबंधों में अधिक आकर्षित रहता हैं । और प्रेम संबंधों में भ्रमित रहता हैं जातक को या तो धोखा मिलता हैं या फिर वह खुद धोखा देता हैं ।
- राहु का षष्ठ भाव में फल:-,
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि षष्ठ भाव में हो तो जातक शत्रुहंता होता हैं । ऐसे जातक धनवान देखें गए हैं । लेकिन अन्य संबंध भी बन सकते हैं । जातक ऋण लेकर उसे चूकता कर देता हैं । जातक को रोग हो सकते हैं और वो पकड़ में नहीं आते लेकिन फिर भी जातक रोगों से लड़कर स्वस्थ हो जाता हैं। जातक को कमरदर्द रह सकती हैं । जातक के शत्रु बहुत होते हैं लेकिन जातक का कुछ नहीं बिगाड़ पाते लेकिन शत्रु कोशिश करते रहते हैं । ऐसा जातक प्रतिस्पर्धा भी करता हैं कभी भी प्रतिस्पर्धा करने से पीछे नहीं हटता और सफल होता हैं। ऐसा राहु जातक के लिए अरिष्टनिवारक होता हैं । जातक की वृद्धि होने की संभावनाएं अधिक होते हैं । इस भाव में राहु विशेष विशिष्टकारक होता हैं ।
- राहु का सप्तम भाव में फल :-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि सप्तम भाव में हो तो जातक को जीवन मेंउतार चढ़ाव अधिक देखने को मिलते हैं । ये राहु जातक को व्यवसाय के लिए अधिक अच्छा रहता हैं । जातक का दाम्पत्य जीवन कई बार अच्छा नहीं होता हैं । विभिन्न तरह की परेशानियां आती रहती हैं । जातक अपने पार्टनर से बहुत उम्मीद लगाए रखता हैं । और घर वालों पे शक्की किस्म का होता हैं । यदि राहु यहां शुभ दृष्ट हुआ तो जातक को अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति हो सकती हैं । लेकिन जातक को भी अपने जीवनसाथी या पार्टनर के प्रति ईमानदार होना भी आवश्यक हैं।
- राहु का अष्टम भाव में फल :-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि अष्टम भाव में हो तो जातक को एक समय में अचानक ही धनवान बना सकता हैं । यह राहु जातक को गुप्त विद्याओं का ज्ञाता बना सकता हैं । जातक को जननांगों में समस्याएं हो सकती हैं । ऐसे जातक के सोचने का तरीका कुछ अलग ही होता हैं । जातक जासूसी भी करता हैं । और जातक को अचानक असंभावित घटनाओं का सामना करना पड़ सकता हैं । यदि यहां पर राहु क्रूर ग्रह से दृष्ट या युत हो तो जातक को मृत्यु समय कष्ट की संभावना रहती हैं । यहां पर जातक के पास यदि गुप्त ज्ञान हो तो ये राहु अच्छा हैं ।
- राहु का नवम भाव में फल:-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि नवम भाव में हो तो जातक को अपने ही धर्म में शंका होने लगती हैं । जातक धर्म के मामले में किसी की नहीं सुनता जब तक उसे खुद विश्वास न हो जाए तब तक वह धर्म में खोज करता ही रहता हैं। हालांकि जातक धर्म कर्म भी करता रहता हैं। जातक को पितरों से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। जातक को कई बार दूसरे धर्मों में भी रुचि रहती हैं । हालांकि उसे ज्ञान भी होता हैं दूसरे धर्मों का भी ज्ञान होता हैं। जातक को यात्राएं अधिक पसंद होती हैं ऐसा राहु जातक का विदेश ले जा सकता हैं और उसका भाग्योदय विदेश में ही होता हैं । राहु यदि यहां किसी केंद्र के स्वामी के साथ स्थित हो तो राहु विशेष फलदाई हो सकता हैं । कई बार पिता पुत्र को एक दूसरे को समझने में कठिनाई आती हैं ।
- राहु का दशम भाव में फल :-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि दशम भावों में हो तो जातक को राजनीति में सफलता मिल सकती है। लेकिन जातक राजनीति करने वाला होता हैं । ऐसे जातक के पास दूसरों पे अधिकार करने तारिका होता हैं जातक जल्द ही दूसरों को अपनी तरफ घेर लेता हैं । जातक को यदि यहां पर सही दिशा पे कर्म करने के लिए आतुर किया जाए तो जातक ऐसा करके बहुत आगे जा सकता हैं । यहां का राहु जातक को अपने कार्य के लिए सजग रखता हैं । यदि ये राहु पंचम नवम के स्वामियों के साथ यहां स्थित हो जो जातक को ऊंचाइयों पे ले जा सकता हैं ।
- राहु का एकादश भाव में फल:-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि एकादश भाव में हो तो जातक की इच्छाएं बहुत होती हैं । और जातक धीरे धीरे उन्हें पूरी करता भी हैं । यहां बैठा राहु जातक को बहुत जगहों से लाभ दे सकता हैं । परन्तु कई बार जातक कुकर्मों को करके भी लाभ कमाता हैं । ऐसा राहु जातक को पैसा कमाने के कई तरीके देता हैं और जातक को पैसे के प्रति हर पल लालायित रखता हैं। और उसके लिए जातक को परिश्रम भी करवाता हैं । इनके भाई बहनों के साथ सम्बन्ध उतने मधुर नहीं होते । ये अपने ऑनलाइन मित्र अक्सर अधिक रखते हैं। हां लेकिन ऐसा जातक पहुंच में सदैव बड़ी बातें ही करता हैं चाहे वह हो या न हो ।
- राहु का द्वादश भाव में फल :-
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि द्वादश भाव में हो तो जातक ख्याली पुलाव अधिक बनाता रहता हैं की यह हो जाएगा वो हो जाएगा अक्सर ये सब व्यर्थ ही जाते हैं । जातक को निद्रा से संबंधित परेशानि होती हैं या जातक रात्रि में अधिक देर बाद ही सोता हैं । ऐसे जातक के गुप्त शत्रु बहुत होते हैं और जातक उनसे लड़ता भी हैं। जातक दान तो दे देता हैं लेकिन दान देने के बाद उसमें वो संशय भी रखता हैं । यदि अन्य ग्रह स्थितियां ठीक न हो तो जातक को जेल यात्रा के योग भी बन जाते हैं । ऐसा राहु जातक को विदेश ले जाने में सक्षम होता हैं । जातक को अपने स्वास्थ्य संबंधित लापरवाह नहीं रहना चाहिए अन्यथा ये राहु अस्पताल के चक्कर भी कटवा सकता हैं ।
नोट :- ये राहु के सभी 12 भावों में सामान्य फल हैं । ये आपकी कुंडली अनुसार लागू भी हो सकते हैं और नहीं भी नहीं । अक्सर कुंडली में विभिन्न राशियों , नक्षत्रों , नवमांश और ग्रह दशा के अनुसार फलों में बदलाव आता ही हैं ।
1. राहु का प्रथम भाव में फल (लग्न) क्या होता है?
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि लग्न में हो तो जातक का व्यक्तित्व भ्रमित और चतुर हो सकता है। जातक कभी-कभी आलसी हो सकता है, लेकिन जब लक्ष्य पर ध्यान देता है तो उसमें सफलता प्राप्त कर सकता है। यह जातक दिखावा करने में माहिर होता है और दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है।
2. राहु का द्वितीय भाव में फल क्या होता है?
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि द्वितीय भाव मे हो तो इस स्थिति में जातक का बोलने का तरीका विचित्र होता है। धन की ओर आकर्षण होता है, लेकिन उसे संजोने में कठिनाई हो सकती है। परिवार में भी भ्रम और मतभेद पैदा हो सकते हैं। जातक को नशे की लत भी लग सकती है, लेकिन यदि सही दिशा में वाणी का प्रयोग करे तो धन में वृद्धि हो सकती है।
3. राहु का तृतीय भाव में फल क्या होता है?
- जातक की कुंडली में 12 भावों में राहु यदि तृतीय भाव मे हो तो जातक शूरवीर, कर्मठ और साहसी बनाता है। जातक के भाई-बहनों से संबंध ठीक नहीं रहते, लेकिन वह विपरीत परिस्थितियों में भी लड़ा करता है। यह जातक इच्छाओं को पूरा करने में सफल होता है यदि वह अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करता है।
4. राहु का चतुर्थ भाव में फल क्या होता है?
- चतुर्थ भाव में राहु जातक को मानसिक अस्थिरता और भ्रमित स्थिति में डालता है। घर में अव्यवस्था और सामान का इधर-उधर बिखरना आम होता है। जातक ऐश्वर्य में भी संतुष्ट नहीं रहता। मां के साथ संबंध में भी उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।
5. राहु का पंचम भाव में फल क्या होता है?
- पंचम भाव में राहु जातक को बुद्धिमान बनाता है, लेकिन वह व्यर्थ की चीजों में समय और ऊर्जा गंवाता है। शिक्षा के क्षेत्र में लापरवाही हो सकती है, लेकिन जब ध्यान केंद्रित करता है तो जल्दी सीख जाता है। प्रेम संबंधों में धोखा भी मिल सकता है।
6. राहु का षष्ठ भाव में फल क्या होता है?
- षष्ठ भाव में राहु जातक को शत्रुहंता बनाता है। शत्रु इसे नुकसान नहीं पहुंचा सकते, लेकिन प्रयास करते रहते हैं। जातक को अचानक से धन मिल सकता है और वह प्रतिस्पर्धा में सफल होता है। यह जातक रोगों से भी बचकर बाहर आता है।
7. राहु का सप्तम भाव में फल क्या होता है?
- सप्तम भाव में राहु जातक के दाम्पत्य जीवन को प्रभावित करता है। जीवनसाथी के साथ समस्याएं हो सकती हैं और जातक अधिक उम्मीदें रखता है। व्यापार में सफलता मिल सकती है, लेकिन जीवनसाथी के प्रति ईमानदारी और विश्वास बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
8. राहु का अष्टम भाव में फल क्या होता है?
- अष्टम भाव में राहु जातक को अचानक धनवान बना सकता है और गुप्त विद्या का ज्ञान दे सकता है। ऐसे जातक को असंभावित घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि राहु क्रूर ग्रह से युक्त हो तो मृत्यु के समय कष्ट हो सकते हैं।
9. राहु का नवम भाव में फल क्या होता है?
- नवम भाव में राहु जातक को धर्म के प्रति शंका पैदा करता है। जातक दूसरे धर्मों में रुचि ले सकता है और विदेश यात्रा कर सकता है। पितरों से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। यदि राहु शुभ हो तो विदेश में भाग्य उदय हो सकता है।
10. राहु का दशम भाव में फल क्या होता है?
- दशम भाव में राहु जातक को राजनीति में सफलता दिला सकता है। जातक का कार्यक्षेत्र में अधिकार की प्रवृत्ति होती है और वह दूसरों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। यदि राहु अच्छे ग्रहों के साथ हो तो जातक बहुत ऊंचाई तक पहुंच सकता है।
11. राहु का एकादश भाव में फल क्या होता है?
- एकादश भाव में राहु जातक को बहुत सारी इच्छाएं देता है और जातक धीरे-धीरे उन्हें पूरा करता है। वह पैसों के प्रति अत्यधिक लालायित रहता है और विभिन्न तरीके से धन अर्जित करता है। यह जातक ऑनलाइन मित्रों के प्रति अधिक आकर्षित होता है।
12. राहु का द्वादश भाव में फल क्या होता है?
- द्वादश भाव में राहु जातक को ख्याली पुलाव बनाने की प्रवृत्ति देता है। जातक को नींद से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं और गुप्त शत्रु भी होते हैं। जातक को जेल यात्रा के योग भी बन सकते हैं। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही से बचना चाहिए, अन्यथा अस्पताल के चक्कर लग सकते हैं।
कुंडली के 12 भावों से जीवन का विश्लेषण
नमो नम: । मैं स्वयं एक ज्योतिष विषय का जिज्ञासु हूं । इस विषय में मैं निरंतर जानने की चेष्टा करता रहता हूं। मुझे ज्योतिष में बचपन से ही शौक था और मैने इसे गहराई और अनुभवों से जांचा है जिससे मेरे दैनिक जीवन में बड़े लाभ हुए है। वर्तमान में मैं ज्योतिष की सूक्ष्म बातों ओर सिद्धांतों को जानने का प्रयास कर रहा हु। साथ ही जिज्ञासुओं के लिए अपने ज्योतिष के लेख लिख रहा हूं।