कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य का फल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता हैं सुर्य एक ऐसा तेजवान ग्रह हैं जिसके उदय से यह पृथ्वी प्रकाशित होती हैं अतः इसे शास्त्रों में आत्मा का कारक ग्रह भी बताया गया हैं । सूर्य राजसिकगुण युक्त तथा क्षत्रिय वर्ण का यह ग्रह हैं । अग्नितत्व प्रधान एवं रक्त वर्णिय यह ग्रह हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सिंह राशि का स्वामी सूर्य को बताया गया हैं । यह सूर्य की मूल त्रिकोण राशि हैं। यदि सूर्य कुंडली में अच्छी स्थिति में हो तो जातक का आत्मविश्वास प्रौढता लिए हुए होता हैं । तथा जातक ऐश्वर्यशाली , राजसिक, प्रभावी, तेजस्वी, तथा उसे मान सम्मान प्राप्त होता हैं । परन्तु यदि सूर्य कमजोर या पीढ़ित अवस्था में हो तो जातक को जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं/
आइए जानते हैं कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य का फल:-
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- सूर्य का प्रथम भाव में फल:- शास्त्रों के अनुसार जातक की कुंडली मैं यदि सूर्य लग्न में स्थित हो तो जातक तेजस्वी , प्रभावशाली तथा स्वाभिमानी होता हैं। जातक का शरीर सुगठित, मध्यम शरीर तथा चौड़ा होता हैं । जातक दिखने में तेजस्वी तथा सुन्दर होता हैं बॉल घने होते हैं परन्तु उम्र बढ़ने के साथ साथ बॉल झड़ने समस्या भी हो सकती हैं यदि सूर्य मित्र राशि में बैठा हो तो जातक स्वाभिमानी होता हैं जो ठान ले करके दिखाता हैं और जातक को समाज में मान सम्मान वैभव आदि की प्राप्ति करवाता हैं बशर्ते पीड़ित ना हो। पीड़ित होने पर , कमजोर, अच्छी स्थिति में न होने पर जातक को आजीवन भर परिश्रम मेहनत का सहारा लेना पड़ता हैं।तथा व्यर्थ ही वह जीवन में वह अंहकार हठ क्रोध दुराचार धारण किए होता हैं। यह प्रथम भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का द्वितीय भाव में फल :- जन्म कुंडली के द्वितीय भाव में यदि सूर्य हो तो जातक की वाणी तेजस्वी , गहरी, कठोर होती हैं यदि सूर्य दूसरे भाव में अच्छी स्थिति में हो तो जातक में भाषण देने की अच्छी कला होती हैं जातक धनवान होता हैं व छोटी उम्र में ही उसे धन कमाने के आयाम प्राप्त हो जाते हैं और अपने कुल का नाम रौशन करता हैं । परन्तु यदि पीड़ित ख़राब अवस्था में हुआ तो जातक को मुंह में रोग फोड़े फुंसी आदि होते हैं। घर वालों से जातक के संबंध अच्छे नहीं होते जातक की वाणी भी अच्छी नहीं होती जातक अपशब्द करने में भी हिचकिचाता नहीं हैं । जातक के पास धन रुकता नहीं हैं तथा उसे धन कमाने में दिक्कतें होती हैं। यह द्वितीय भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का तृतीय भाव में फल:- जिस जातक की कुंडली में सूर्य तृतीय भाव में बैठा होता हैं यदि यह सूर्य शुभ अवस्था में हो तो जातक परिश्रमी पराक्रमी होता हैं । जातक के कंधे चौड़े होते हैं। जातक अपने पराक्रम से भाग्य को बदलने वाला होता हैं तथा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ता हैं भाई बहनों से भी इनके संबंध अच्छे होते हैं ऐसा जातक किस्मत के भरोसे नहीं बैठता खुद पराक्रम करके आत्मविश्वास सहित आगे बढ़ता हैं । परन्तु यदि अशुभ अवस्था में हो तो जातक ग़लत जगह पराक्रम करता हैं तथा अपनी ऊर्जा का सही जगह उपयोग नहीं कर पाता । जातक के मित्र अच्छे नहीं होते जातक कुसंगती करता हैं तथा खुद ही अपने भाई बहनों के साथ संबंध बिगाड़ता हैं। यह तृतीय भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का चतुर्थ भाव में फल:- जातक के चतुर्थ भाव में यदि सूर्य हो तो जातक का माथा गर्म और जातक चिंताएं अधिक लेता हैं। जातक के मित्रों की संख्या कम होती है जातक खुद ही अपने मित्रों को धीरे धीरे कम करता रहता हैं । यदि यह शुभ हुआ तो जातक ऐश्वर्यशाली होता ही हैं जातक को बड़ा घर प्राप्त होता हैं और जिसमें सारी सूख सुविधाएं प्राप्त होती हैं जातक को भूमि भवन वाहन आदि का सुख भी प्राप्त होता हैं जातक राजा की तरह रहना पसन्द करता हैं परन्तु खुद ही कई बार घर में कलह का कारण बनता हैं। जातक माता का प्रिय होता हैं।यदि यहां पर सूर्य अशुभ हुआ तो जातक कलुषित और और उसे भूमि भवन वाहन आदि का सुख प्राप्त नहीं हो पाता जातक को हृदय संबंधित समस्याएं भी रह सकती हैं । यह चतुर्थ भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का पंचम भाव में फल:- जातक की कुंडली में यदि शुभ होकर सूर्य पंचम भाव में हुआ तो जातक की पाचन शक्ती मजबूत होती है। जातक का पिण्डा गर्म होता हैं । जातक माता पिता का प्रिय होता हैं जातक बुद्धिमान विवेकी तथा धनवान होता हैं । जातक को विभिन्न गूढ़ विषयों की जानकारी होती हैं व जातक ज्ञानवान होता हैं जातक को विभिन्न कलाओं में रुचि होती हैं। जातक की संताने भी तेजस्वी होती हैं परन्तु संताने अधिक नहीं होती तथा अधिकतर पुत्र संतान ही होती हैं तथा जातक को अचानक धन लाभ होने के योग बनते रहते हैं। परन्तु यदि सूर्य अशुभ पीड़ित आदि हो तो जातक अधिक बोलने वाला होता हैं व जातक को पेट संबंधी समस्याएं एवम् जातक को संतान होने में समस्याएं , एवम् निम्न क्षेत्रों में समस्याएं होती हैं। यह पंचम भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का षष्ठ भाव में फल :- कुंडली के यदि षष्ठ भाव में यदि सूर्य शुभ हो तो जातक शूरवीर शत्रुहंता होता हैं जातक के शत्रु अधिक होते हैं परन्तु वे जातक का कुछ नहीं बिगाड़ पाते तथा जातक सभी शत्रुओं का समूल विनाश करता हैं । जातक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं मैं भी उत्तीर्ण होता हैं । जातक सेना पुलिस कर्मी या कोई बड़ा पदाधिकारी हो सकता हैं । यह सूर्य जातक को नौकरी के योग भी बनाता हैं । जातक छोटी उम्र में ही धनवान बन जाता हैं । परन्तु यदि यह सूर्य खराब अवस्था या पीढ़ित हुआ तो जातक को सिर दर्द से संबंधित समस्या रहतीं हैं । जातक शत्रुओं से घिरा रहता हैं तथा शत्रु परेशान करते हैं । जातक को प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उत्तीर्ण करने में परेशानी आती हैं तथा जातक 1 या 2 अंकों से रह जाता हैं । यह षष्ट भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का सप्तम भाव में फल :- जातक की कुंडली में यदि सूर्य सप्तम भाव में हुआ तो ये दांपत्य को जलाने का काम करता हैं कालपुरुष के अनुसार सूर्य सप्तम भाव में नीच का होता हैं । इन जातकों का दाम्पत्य जीवन कई बार अच्छा नहीं होता हैं इगो के कारण दाम्पत्य में समस्याएं आती रहतीं हैं जातक का जीवनसाथी सुन्दर तो होता हैं परन्तु दाम्पत्य जीवन लगभग अच्छा नहीं बीतता। परन्तु सूर्य शुभ हो उस पर गुरुग्रह की दृष्टि हो तो यह समाज में मान सम्मान दिलाता हैं परन्तु अशुभ अवस्था में यह सूर्य बिलकुल भी अच्छे फल नहीं दे पाता । यह सप्तम भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का अष्टम भाव में फल:- वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में अष्टम भाव को अच्छा नहीं माना गया हैं क्योंकी यह परेशानियों मृत्यु रोगों अचानक होने वालीं समस्याओं का भाव माना गया हैं । यदि सूर्य यहां बैठ जाएं ऐसे सूर्य पर गुरु या चन्द्रमा की दृष्टि पड़ जाएं तो जातक को गुप्त धन मिलने की संभावना बनी रहतीं हैं गुप्त विद्याओं का जानकार भी हो सकता हैं। और जातक दीर्घायु होता हैं।परन्तु अधिकतर सूर्य यहां पर अशुभ ही होता हैं क्योंकी अष्टम भाव में सूर्य को खराब ही माना गया हैं हालांकि सूर्य को अष्टमेश होने का दोष नहीं लगता क्योंकी यह आत्मा का कारक हैं परन्तु इसे अष्टम में जाने का दोष लगता हैं यहां बैठा सूर्य आंखों से संबंधित समस्याएं देता हैं पिता को कारोबार में परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं तथा जातक को भी कर्मक्षेत्र में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह अष्टम भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का नवम भाव मैं फल:- यदि यहां पर सूर्य शुभ तो हो तो जातक भाग्यशाली समृद्ध और धार्मिक प्रवृति का होता हैं। जातक के पिता दादा के साथ संबंध अच्छे होते हैं। जातक जीवन में निरंतर प्रगति करता जाता हैं। जातक धर्म करता हुआ अपने जीवन में भाग्य को पाता हैं और अपने जीवन की यात्रा को सुदृढ़ करता हैं । जातक के पूर्वजों में ऐसा भी कोई होता हैं जिसका नाम बहुत प्रचलित हुआ हो । परन्तु यदि अशुभ पीड़ित या क्रूर दृष्टित हो तो जातक जातक के पिता के लिए अच्छा नहीं माना गया हैं। जातक को धर्म कर्म करने में भी समस्याएं आती हैं जातक को हड्डियों से संबंधित समस्याएं भी आती हैं। और जातक को जीवन में बहुत सी समस्याएं भी आती हैं। यह नवम भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का दशम भाव में फल:- जातक का सूर्य यदि दशम भाव में हो तो यह जातक के लिए बहुत शुभ माना जाता हैं क्योंकी यहां पर सूर्य को दिग्बल प्राप्त होता हैं । और ऐसे में यदि जातक सही जगह कर्म करे तो जातक का नाम समाज में प्रसिद्ध होता हैं । यहां पर बैठा सूर्य जातक को राजनीति के क्षेत्र में भी आगे ले जा सकता हैं। जातक अपने कार्य में दक्षता प्राप्त किए होता हैं। जातक की राजनीति और पदाधिकारी क्षेत्रों में अच्छी पैठ होती हैं । परन्तु सूर्य यदि पीड़ित या अशुभ अवस्था में हो तो जातक अपने से बड़े लोगों से दुश्मनी मोल लेता रहता हैं जिस कारण वह लोकनिंदा को प्राप्त होता हैं। यह दशम भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का एकादश भाव में फल :- यदि जातक की कुंडली में यदि सूर्य शुभ होकर एकादश भाव में बैठा हो तो जातक विभिन्न क्षेत्रों से लाभ कमाने वाला होता हैं। जातक के बड़े बड़े राजनेता पदाधिकारी मित्र होते हैं जिनसे जातक बड़े बड़े अवसरों को पाता हैं और जातक अपने जीवन में बहुत उन्नति करता हैं। ऐसी अवस्था में जातक के शत्रु भी बहुत होते हैं जिनका जातक बड़ी आसानी से दमन कर लेता हैं। ऐसा जातक बहुत धनवान ज्ञानवान और गुणी होता हैं तभी उसके बड़े बड़े अधिकारियों से संबंध होते हैं या वह खुद भी बड़ा अधिकारी हो सकता हैं । परन्तु सूर्य यदि यहां पाप पीड़ित हो अशुभ हो तो जातक को सरकारी क्षेत्र से लाभ कमाने में परेशानियां आती हैं। जातक के बड़े भाई या ताया चाचा आदि से संबंध अच्छे नहीं होते हैं। यह एकादश भाव में सूर्य का फल है!
- सूर्य का द्वादश भाव में फल :- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार द्वादश भाव को व्यय भाव माना गया हैं। यदि सूर्य इस भाव में बैठ जाए तो आपको अपमान होने का भय रहता हैं । और ऐसे में अपने से बड़े लोगों से भी सम्बन्ध ठीक नहीं रहते हैं। साथ ही आत्मविश्वास की कमी भी जातक में पाई जाती हैं। परन्तु कई बार अच्छा सूर्य आपके विदेश से भी सम्बन्ध बना सकता हैं। जातक अपने जन्म स्थान से बाहर जाकर उन्नति कर सकता हैं । यह द्वादश भाव में सूर्य का फल है !
नोट:- कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य का फल:- ये सभी सूर्य के द्वादश भाव में स्थित होने के सामान्य फल हैं।युति- दृष्टि- राशि- नक्षत्र- आदि के आधार पर फलों में बदलाव आ जाते हैं।।
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सूर्य का फल कुंडली के विभिन्न भावों में
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नमो नम: । मैं स्वयं एक ज्योतिष विषय का जिज्ञासु हूं । इस विषय में मैं निरंतर जानने की चेष्टा करता रहता हूं। मुझे ज्योतिष में बचपन से ही शौक था और मैने इसे गहराई और अनुभवों से जांचा है जिससे मेरे दैनिक जीवन में बड़े लाभ हुए है। वर्तमान में मैं ज्योतिष की सूक्ष्म बातों ओर सिद्धांतों को जानने का प्रयास कर रहा हु। साथ ही जिज्ञासुओं के लिए अपने ज्योतिष के लेख लिख रहा हूं।