आखिरकार कलयुग क्यों हैं राहु और शुक्र का युग
भारतीय ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य आदि नव ग्रह बताएं गए हैं। तथा हमारे धर्म पुराणों में 4 युग बताएं गए हैं । जो सतयुग , त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलयुग नाम से प्रचलित हैं। सबसे पहले सतयुग हुआ था। जिसके बाद श्री राम युग त्रेता हुआ । फिर त्रेता युग के बाद श्री कृष्ण युग द्वापरयुग हुआ। फिर अंतिम युग जो कलयुग हैं जिसकी शुरुआत लगभग वर्तमान समय से 5000 वर्षों पूर्व हुई थी। शास्त्रों में कलयुग को सर्वश्रेष्ठ युग भी बताया गया हैं। परन्तु इसी युग में ही मनुष्यों और प्रकृति में क्रूरता, दोहन , तृष्णा, माया, कलेश, बैर, भ्रम, भोग , अनिश्चितता, शीघ्र अत्याधुनिकपरिवर्तन , भोग – विलास, आदि देखने को मिलता हैं। इसी लिए इसे राहु और शुक्र का युग भी एक प्रकार से कह सकते हैं। इसीलिए इस युग को कष्टकारी भी माना गया हैं ।
आइए अब जानते हैं की राहु क्या हैं –
सर्वप्रथम राहु को भारतीय ज्योतिष के अनुसार छाया ग्रह बताया गया हैं । अर्थात् ऐसा छाया ग्रह जिसकी कोई भी आकृति नहीं हैं । ना ही कोई भौतिक आकार । अर्थात् यह अनिश्चित भी हो सकता हैं और अतिसूक्ष्म भी । सौरमंडल में सूर्य की कक्षा और चन्द्रमा की कक्षा जिस बिंदु पर मिलती हैं वहीं बिंदु राहु कहलाता हैं या यह एक नई प्रकार की अत्यधिक ऊर्जा राहु बनती हैं ऐसा भी कहा जा सकता हैं ठीक इसके विपरीत 180° पर केतु की स्थिति होती हैं। जब राहु केतु का कोई आकार हैं ही नहीं तो इसे जानना अत्यधिक कठिन होता हैं इस लिए राहु को भ्रम और माया का कारक बताया हैं। यदि सामान्यतः कहा जाए तो तो ” मैं रा-हु ” रा अर्थात् मैं ही राम भी हूं मैं ही रावण भी हूं। राहु एक विशाल अनिश्चित ऊर्जा हैं। जो एक दम से स्थिति को बदलने में विश्वास रखता हैं। राहु एक ऐसा ग्रह हैं जो मनुष्य को रातों रात ही ऊंचाइयां प्रदान कर सकता हैं और रातों रात ही उन ऊंचाइयों को छीन भी सकता हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार राहु को मुख और केतु को धड़ का भाग बताया गया हैं। शरीर का मुख भाग जहां जहां हमारी नाक कान आदि इंद्रियां होती हैं इन इंद्रियों पे राहु का पूरा अधिकार होता हैं हो शेष धड़ भाग केतु का होता हैं। राहु का पूरा प्रभाव इंद्रियों पे होने के कारण तथा धड़ न होने के कारण इंद्रियां तो सदैव इच्छा करती रहती हैं लेकिन कभी तृप्त नहीं होती। इसीलिए राहु की अतृप्त इच्छाएं सदैव बड़ी ही होती हैं जब वह पूरी हो जाती हैं तो उससे और बड़ी की चाहत यह करने लगता हैं। इसीलिए राहु को किसी भी चीज़ के लिए पागलपन का कारक भी बताया गया हैं । लेकिन इसे लगातार काम करना पसन्द नहीं हैं इसे short cut पसंद हैं । इसीलिए यह अनैतिक कार्य करने से भी डरता नहीं हैं । यह किसी भी काम को करने के लिए साम दाम दंड भेद चारों को अपनाता हैं। राहु आडंबर और दिखावा भी करता हैं।
आइए अब जानते हैं अब शुक्र ग्रह के बारे में:-
ज्योतिष शास्त्र में नव ग्रहों में एक शुक्र ग्रह भी बताया गया हैं। जो की एक शुभ ग्रह हैं शुभ ग्रह । जिसमें राजसिक गुण पाएं जाते हैं । दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य या शुक्र ही एक ऐसे थे जिनके पास संजीवनी विद्या थी। गोचर स्थिति मैं ये सदैव सूर्य के 1 या 2 घर आगे पीछे ही रहते हैं इसलिए ये अधिकतर अस्त भी रहते हैं । ज्योतिष में वृषभ और तुला राशि का स्वामित्व दैत्यर्षि शुक्र के पास होता हैं । जो कालपुरुष में द्वितीय और सप्तम में पड़ती हैं जिस कारण शुक्र को धन और पत्नि का कारक बताता गया हैं।
शुक्र को शास्त्रों में ऐश्वर्य, प्रेम, सुंदरता, आकर्षण, सुख, कला, सृजन, कामना, वासना, भोग, वीर्य, धन, पत्नी, आरोग्य,कामुकता, फैशन, डिजाइन, वाहन, समृद्धि आदि का कारक माना गया हैं।
कलयुग राहु और शुक्र से क्यों प्रभावित हैं :-
वर्तमान में चारों युगों में अंतिम युग कलयुग लगा हैं । जो राहु से अधिक प्रभावित हैं । क्योंकि आप सब भी देख ही पा रहे होंगे कि वर्तमान में अधिकतर, अहिंसा, चोरी, डकैती, कूटनीति, षड्यंत्र, अनिश्चितता, संचार, घृणा, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, दिखावा, भ्रम आदि प्रचलन में हैं जो राहु से प्रभावित हैं लेकिन ये राहु को धन, लग्जरी, वैभव, ऐश्वर्य, कला, भोग- विलास, सुंदरता, आकर्षण, कामवासना, सुख, आदि अच्छा लगता हैं जो शुक्र के कारक हैं। इसलिए राहु अन्य ग्रहों की अपेक्षा शुक्र के साथ अधिक सहज महसूस करता हैं । लेकिन जब ये ही चीजें अत्यधिक प्रबल हो जाती हैं। मनुष्य बुरी आदतों से घिर जाता हैं तो मनुष्य के लिए नुकसान दायक साबित हो जाती हैं । इसलिए ये युग राहु और शुक्र से प्रभावित हैं राहु एक ऐसा ग्रह हैं जो अत्यधिक विस्तार करने में माहिर हैं । लेकिन ये शुक्र की तरफ़ अत्यधिक आकर्षित होता हैं इसलिए अपने कारकों के साथ शुक्र कारकों का भी विस्तार कर रहा हैं। अक्सर जो हमें लगता हैं वह होता नहीं हैं और जो होता हैं वो हमें ज्ञात नहीं होता वही हो जाता हैं यही एक प्रकार का भ्रम हैं जो राहु कारक हैं।
राहु से यदि अधिक प्रभावित हैं तो कैसे बचे :-
1: सर्वप्रथम अपना आहार शुद्ध रखें । बाहर का न ही खाएं तो अच्छा हैं । जंक फूड का सेवन न करें ।
2: पानी अधिक से अधिक पिए । और अपने विचारों को शुद्ध करें और नेगेटिविटी आदि से दूर रहे ।
3 : इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स का उपयोग सीमित ही करें । जब जरूरत हो तभी मोबाइल आदि का इस्तेमाल करें । फोन आदि नेटवर्क माध्यम से ज्ञान मोटिवेशन आदि ही प्राप्त करें जो आपके काम आ सके ।
4: अपने आपको सात्विक रखें । सुबह जल्दी उठें और शाम को जल्दी ही सो जाएं । तथापुजा पाठ भजन कीर्तन आदि में भी अपना थोड़ा समय दे ।
5: अपनी आदतों को भी सुधारें और उनमें परिवर्तन लाने की कोशिश करें । जैसे कि देर से नहाना , खाना खाते समय फोन टेलीविजन आदि देखना इत्यादि ।
6: ग़लत संगति नशा, जुआ, सट्टा, शरारत आदि से दूर रहे । और अपने आप पे किसी भी बुरी चीज़ की लत हावी न होने दें । सनकीपन, वहम, और शक करना छोड़ दे ।
7: समय को मैनेज करना सीखें और निरन्तर अपने आप को नया बनाएं । अपने आप को अच्छे way में update करते रहें ।
8: अधिक सोचने से बचें। सोचने की बजाय अपने काम पर ज़्यादा ध्यान दे। अपने निर्णय स्वयं कम ही ले कोई विशिष्ठ गुरु या बड़ों की देखरेख में ही निर्णय ले और कार्य करें।
9: जब तक कार्य पूर्ण ना हो जाएं उसे अपने तक ही सीमित रखें । अंधेरे से दूर रहने की कोशिश करें और प्रकाश मैं अधिक से अधिक आएं।
10: अपने लिए प्रतिदिन कुछ न कुछ अच्छा करते रहे और आगे बड़े। शिव और दुर्गा मां की पूजा करना श्रेष्ठ हैं ।
नोट: नव ग्रहों में सभी ग्रहों की अपनी अपनी महिमा होती हैं । इसलिए सभी ग्रह लगभग अच्छे ही होते हैं । अक्सर कोई भी ग्रह बुरा नहीं होता । यहां तक की राहु भी अच्छा फल दे सकता हैं । यदि उसकी असीमित ऊर्जा को सही दिशा में लगाया जाएं । राहु को सदैव अच्छे करने का प्रयास करते रहें । क्योंकि वर्तमान में सभी ही राहु से प्रभावित हैं । इसलिए कोशिश करें की राहु आपको अच्छे विषय के लिए ही प्रभावित करें । जैसे व्यायाम करना, इलेक्ट्रॉनिक आदि का सही उपयोग, रोज पढ़ना इत्यादि । अतः खुश रहें मस्त रहें ।।
सारांश
कलयुग, जो कि चारों युगों में से अंतिम युग है, राहु और शुक्र के प्रभाव से अत्यधिक प्रभावित है। राहु की अनिश्चितता, भ्रम और माया की विशेषताएं इस युग में व्याप्त हैं, जबकि शुक्र की सुंदरता, आकर्षण और भोग-विलास की विशेषताएं भी इसमें दिखाई देती हैं।
इस युग में राहु और शुक्र के प्रभाव से उत्पन्न होने वाली समस्याएं हैं:
- क्रूरता और हिंसा
- दोहन और शोषण
- तृष्णा और लालच
- माया और भ्रम
- कलेश और संघर्ष
- बैर और विरोध
- अनिश्चितता और अस्थिरता
इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ उपाय भी बताए गए हैं:
- अपना आहार शुद्ध रखना
- इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स का सीमित उपयोग करना
- अपने विचारों को शुद्ध रखना
- रोज पढ़ना और ज्ञान प्राप्त करना
- अच्छे कार्यों में समय बिताना
- अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रखना और उनकी प्राप्ति के लिए काम करना
- अपने आप को सात्विक और शुद्ध रखना आदि।
राहु और शुक्र क्या हैं?
राहु और शुक्र ज्योतिष में दो महत्वपूर्ण ग्रह हैं। राहु को छाया ग्रह माना जाता है, जबकि शुक्र को एक शुभ ग्रह माना जाता है जो राजसिक गुणों का प्रतीक है।
कलयुग क्या है और यह राहु और शुक्र से कैसे प्रभावित है?
कलयुग चार युगों में से अंतिम युग है। यह राहु और शुक्र से प्रभावित है, जो क्रमशः अनिश्चितता, भ्रम और माया के प्रतीक हैं, और सुंदरता, आकर्षण और भोग-विलास के प्रतीक हैं।
राहु के प्रभाव से कैसे बचें?
राहु के प्रभाव से बचने के लिए, अपना आहार शुद्ध रखें, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स का सीमित उपयोग करें, अपने विचारों को शुद्ध रखें, और नेगेटिविटी से दूर रहें।
शुक्र के प्रभाव से कैसे बचें?
शुक्र के प्रभाव से बचने के लिए, अपने आप को सात्विक रखें, सुबह जल्दी उठें और शाम को जल्दी ही सो जाएं, और पुजा पाठ भजन कीर्तन आदि में समय दें।
कलयुग में जीवन को बेहतर बनाने के लिए क्या करें?
कलयुग में जीवन को बेहतर बनाने के लिए, अपने आप को सात्विक रखें, समय को मैनेज करना सीखें, और निरन्तर अपने आप को नया बनाएं। अपने आप को अच्छे way में update करते रहें।
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RD JYOTISH
नमो नम: । मैं स्वयं एक ज्योतिष विषय का जिज्ञासु हूं । इस विषय में मैं निरंतर जानने की चेष्टा करता रहता हूं। मुझे ज्योतिष में बचपन से ही शौक था और मैने इसे गहराई और अनुभवों से जांचा है जिससे मेरे दैनिक जीवन में बड़े लाभ हुए है। वर्तमान में मैं ज्योतिष की सूक्ष्म बातों ओर सिद्धांतों को जानने का प्रयास कर रहा हु। साथ ही जिज्ञासुओं के लिए अपने ज्योतिष के लेख लिख रहा हूं।